Dollar Vs Euro: दो दशक बाद अब अमेरिकी डॉलर से नीचे लुढ़का यूरो, रुपये में गिरावट का दौर जारी है , यूरो डॉलर से नीचे गिर गया , डॉलर की कीमत , यूरो में गिरावट , यूरो की कीमत , यूरो , डॉलर , रुपये , भारतीय मुद्रा ,euro fell below dollar , dollar price , euro fall down , euro price , euro , dollar , rupees , Indian currency ,
Dollar Vs Euro- यूरो 20 वर्ष बाद अमेरिकी डॉलर से नीचे लुढ़क गया है। सामान्य रूप से डॉलर के मुकाबले यूरोपीय curency यूरो की प्राइस ज्यादा होती है। वहीं पर भारतीय करेंसी में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है। दिन बुधवार को रुपये में 22 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है ।
रूस और यूक्रेन के बीच चलती युद्ध का यूरोपीय देशों की मुद्रा यूरो पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। दिन बुधवार को यूरो 0.9998 डॉलर तक लुढ़क गया था। हालांकि, बाद में इसमें थोड़ी मजबूती भी आई और यह 1.002 डॉलर तक पहुंच गया था। दिसंबर 2002 के बाद यह पहली मौका है, की जब अमेरिकी डालर के मुकाबले यूरो इस निचले स्तर तक पहुंचा है। यूरो की प्राइस में इस साल 12 % की गिरावट आई है।
Dollar Vs Euro: दो दशक बाद अब अमेरिकी डॉलर से नीचे लुढ़का यूरो, रुपये में गिरावट का दौर जारी है
सामान्यतया देखा जाए तो डॉलर के मुकाबले यूरो की कीमत ज्यादा रहती है। रूस-यूक्रेन लड़ाई के कारण महंगाई की मार झेल रहे सभी यूरोपीय देशों के लिए इस समय एक नए संकट की आहट माना जा रहा है। अमेरिका में महंगाई दर 41 साल के उच्च स्तर 9.1 % पर पहुंच गई है। ऐसे में माना जा रहा है, कि आने वाले दिनों में डॉलर में और मजबूती आ सकती है। जिससे यूरो में और गिरावट भी आ सकती है।
Dollar Vs Euro- डॉलर के मुकाबले 79.81 पर पहुंचा रुपया है
डॉलर के मुकाबले हमारे भारतीय मुद्रा में गिरावट लगातार अभी जारी है। दिन बुधवार को रुपये में 22 पैसे की गिरावट देखि गई और डॉलर के मुकाबले यह 79.81 रुपये पर पहुंच गया है। यह रुपया का अब तक का सबसे निचला स्तर है। अंतराष्ट्रीय बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मजबूत रुख के साथ 79.55 प्रति डालर पर खुला। कारोबार के समय यह 79.53 प्रति एक डॉलर तक मजबूत हुआ था , लेकिन बाद में डॉलर के मजबूत होने से अंत में 22 पैसे की जोर दार गिरावट के साथ 79.81 रुपये प्रति एक डॉलर पर बंद हुआ।
इसे पहले रुपया मंगलवार को 79.59 रुपये प्रति एक डॉलर पर बंद हुआ था। जानकारों का मानना है कि बढ़ती महंगाई पर अंकुश के लिए पूरी दुनियाभर के केंद्रीय बैंक आक्रामक ढंग से इंटरेस्ट दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इससे रुपये की धारणा काफी प्रभावित हुई है। साथ ही घरेलू मार्किट से विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भी रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है।