Passive Fund का फंडा आखिर क्या है? एक्सपर्ट से समझें कैसे छोटे निवेश पर भी मिलता है, बढ़िया रिटर्न।
Money Guru: पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसिव निवेश की तरफ अधिक बढ़ी है. AMFI के हाल ही में आए आंकड़ों में भी इसके संकेत मिलते हैं.
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि आखिर क्या होते हैं ये (पैसिव फंड). इंडेक्स फंड, ETF फंड और फंड ऑफ फंड के आखिर क्या फायदे होते हैं और कौन इसमें निवेश कर सकता है.
Passive Fund का फंडा आखिर क्या है?
इसके साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि कैसे कम लागत में ये फंड ज्यादा मुनाफा दे सकते हैं.
हमारे इन सवालों का जवाब देंगे Edelweiss MF के सेल्स हेड “दीपक जैन” और वाइजइन्वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड के CEO “हेमंत रुस्तगी”.
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क्या होता है पैसिव फंड !
Passive Fund: पैसिव फंड वास्तव में म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार होता है, जो कि निफ्टी,सेंसेक्स आदि जैसे इंडेक्स की नकल करती है.
सेसेंक्स 30, निफ्टी 50 में उनके वजन के अनुपात में निवेश होते है. पैसिव फंड में मैनेजर की सक्रिय भूमिका नहीं होता है. मैनेजमेंट शुल्क कम होने के चलते इसकी लागत भी कम होती है.
क्या हैं इंडेक्स फंड ?
मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश।
निफ्टी 50 ,सेंसेक्स 30 में शामिल कंपनियों में निवेश।
ऐसे फंड का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसे ही होता है।
इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर तो फंड में भी बेहतर रिटर्न की गुंजाइश होती है।
इंडेक्स फंड के फायदे
कम टोटल एक्सपेंस रेश्यो।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करने का मौका।
एक कंपनी के शेयर में कमजोर,दूसरे में ग्रोथ से नुकसान बैलेंस।
इंडेक्स फंड में ट्रैकिंग एरर कम।
टोटल एक्सपेंस रेश्यो।
इंडेक्स फंड पैसिवली मैनेज्ड होते है।
फंड मैनेजर का कोई रोल नहीं होता है।
इंडेक्स फंड पे कम खर्च आता है।
टोटल एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम आता है।
NIFTY 50 फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.3-0.5% होता है।
NIFTY Next 50 फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.7-1% होता है।
ट्रैकिंक एरर।
इंडेक्स और इनके प्रदर्शन में मामूली अंतर हो सकती है।
इस अंतर को “ट्रैकिंग एरर” कहा जाता है।
अंतर एक्सपेंस रेशियो, कैश होल्डिंग में बदलाव .
कम ट्रैकिंग एरर वाले फंड बेंचमार्क इंडेक्स की तर्ज पर रिटर्न देती हैं।
ट्रैकिंक एरर 0.1-0.2% के बीच होता है।
क्या हैं (ETF)?
(ETF) यानि एक्सचेंड ट्रेडेड फंड्स।
ETF के पोर्टफोलियो में कई तरह के सिक्योरिटीज।
ETF का रिटर्न इंडेक्स के समान होते है।
शेयर बाजार में लिस्ट होते हैं, खरीदा या बेचा जा सकता है
ETF के फायदे :-
इंडेक्स में जितनी तेजी, ग्रोथ का उतना फायदा होता है .
ETF में निवेश करना सस्ता होता है।
जोखिम को डायवर्सिफाई करता है।
टैक्स देनदारी सामान्य शेयरों में निवेश जैसी।
Passive Fund: इंडेक्स फंड v/s ETF
इंडेक्स फंड ओपन एंडेड फंड की तरह खरीदे या बेचे जा सकते हैं।
ETF स्टॉक की तरह ट्रेड किए जा सकते हैं।
ETF में इंडेक्स फंड के मुकाबले कम लागत।
इंडेक्स फंड में SIP,SWP,STP कर सकते हैं।
ETF में ट्रेडेड प्राइस NAV से अलग हो सकता है।
Passive Fund: कितने तरह के इंडेक्स फंड।
Nifty 50 Index Fund.
BSE Sensex Index Fund.
Nifty Next 50 Index Fund.
S&P BSE Next 50 Index Fund.
Nifty 150 Mid cap Index Fund.
Nifty 50 Equal Weight Index Fund.
Nifty NV 20 Index Fund.
Nifty 200 Momentum 30 Index Fund.
Nifty 100 Quality 30 Index Fund.
Nifty 100 Low Vol 30 Index Fund.
Nifty Alpha Low VOl Index Fund.
Passive Fund: एक्टिव v/s पैसिव म्यूचुअल फंड
एक्टिव फंड-लक्ष्य मार्केट इंडेक्स से बेहतर रिटर्न लेने .
पैसिव फंड-निवेशक मार्केट इंडेक्स के हिसाब से।
पैसिव फंड में एक्टिव की तुलना में रिसर्च खर्च अधिक।
पैसिव फंड में एक्टिव की तुलनी में कम लागत।
एक्टिव फंड में पैसिव की तुलना में ज्यादा जोखिम।
एक्टिव v/s पैसिव फंड- कहां निवेश सही?
दोनों की अपनी खूबियां।
निवेश का फैसला रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से करना सही।
एक्टिव फंड में कुछ अधिक जोखिम होता है।
पैसिव फंड में कम जोखिम और सस्ता भी है।
पैसिव में फंड मैनेजर की भूमिका कम रहती है।
एक्टिव फंड में रिस्क अधिक पर बेंचमार्क के मुकाबले बेहतर रिटर्न संभव।