रिटायरमेंट प्लानिंग: 60 वर्ष के बाद की तैयारी के लिए 3 स्कीम हैं बेहद शानदार, निवेश करने पर मिलेगा मुनाफा जोरदार.

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Retirement Planning: बुढ़ापे की तैयारी के लिए कई तरह की स्कीम्स बाजार में उपलब्ध हैं. लेकिन, 60 वर्ष के बाद की तैयारी के लिए कुछ खास स्कीम्स बेहद शानदार हैं, जिनमें निवेश करने पर मुनाफा भी जोरदार मिल सकता है. अगर आप लंबे समय के निवेश और अपने रिटायरमेंट फंड (Retirement fund) की तैयार कर रहे हैं तो इन ऑप्शन में बेहतर रिटर्न देखने को मिल सकता हैं. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) और ELSS में निवेश से अच्छा -खासा मुनाफा मिल सकता है.

Retirement Planning (रिटायरमेंट प्लानिंग) 60 वर्ष के बाद की तैयारी के लिए 3 स्कीम हैं बेहद शानदार

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Public Provident Fund- PPF

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) इस स्कीम को बैंक या पोस्ट ऑफिस में या कहीं भी खोला जा सकता है. किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में ट्रांसफर भी कर सकते है. इसे खोलने के लिए मात्र 500 रुपए काफी हैं. हर वर्ष 500 रुपए एक बार में जमा करना जरूरी है. अकाउंट में हर वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं. यह स्कीम 15 वर्ष के लिए होता है, जिससे बीच में पैसा नहीं निकले जा सकते है. लेकिन, इसे 15 वर्ष के बाद 5-5 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है.

मिलता है लोन और आंशिक निकासी की छूट

PPF को 15 वर्ष के पहले बंद नहीं किया जा सकता है, लेकिन 3 वर्ष बाद से इस अकाउंट के बदले लोन लिया जा सकता है. अगर कोई चाहे तो इस अकाउंट से 7वें वर्ष से नियमों के तहत पैसा निकला जा सकता है. ब्याज दरों की समीक्षा हर तिमाही पर होता है. ब्याज दरें कम या अधिक हो सकती है. फिलहाल 7.1प्रतिशत ब्याज मिल रहा है. योजना में निवेश पर 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट का लाभ मिलता है. इनमें कोई भी व्यक्ति निवेश कर सकते है.

वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF)

EPF में बेसिक वेतन का सिर्फ 12 प्रतिशत ही कॉन्ट्रीब्यूट किया जा सकता है. लेकिन, VPF (Voluntary Provident Fund) में निवेश करने की कोई सीमा नहीं होती. मतलब अगर कर्मचारी अपनी इन-हैंड वेतन को कम रखकर भविष्य निधि में योगदान बढ़ाता है तो इस विकल्प को VPF कहते हैं. VPF में भी EPF के समान 8.1 प्रतिशत ब्याज दिया जा रहा है. ये स्कीम EPF का ही एक्सटेंशन होता है. बेसिक वेतन और DA (Dearness allowance) का 100 प्रतिशत इसमें निवेश किया जा सकता है.

VPF के लिए क्या करें?

आपको अपनी कंपनी के HR या फाइनेंस टीम से संपर्क करना पड़ेगा . VPF में कॉन्ट्रीब्यूशन की रिक्वेस्ट करनी होगी. प्रॉसेस होते ही आपके EPF खाता से VPF को जोड़ दिया जाएगा. VPF का अलग से कोई अकाउंट ओपन नहीं होता है . VPF के योगदान को हर वर्ष संशोधित किया जा सकता है. हालांकि, VPF में निवेश को लेकर एम्प्लॉयर बाध्य नहीं है. कर्मचारी सिर्फ अपना योगदान ही बढ़ा सकते है.

VPF से जुड़ी खास बातें

अगर आप नौकरी चेंज करते हैं तो इस अकाउंट को आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं. इस पर लोन भी ले सकते है. बच्चों के एजुकेशन, होम लोन, बच्चों की विवाह के लिए भी इससे लोन लिया जा सकता है. VPF खाते से पैसा की आंशिक निकासी के लिए खाताधारक का 5 वर्ष नौकरी करना जरूरी है. अगर 5 वर्ष से कम है तो टैक्स कटता है. VPF की पूरी पैसा केवल रिटायरमेंट पर ही निकाली जा सकती है. VPF पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी (EEE) पर मिलने वाले पैसे पूरी तरह टैक्स फ्री है. ये स्कीम रिटायरमेंट (Retirement planning) के लिए बहुत बढ़िया है.

ELSS- इक्विटी लिंक्ड सेंविग्स स्कीम

देश में 42 म्यूचुअल फंड कंपनियां टैक्स सेविंग स्कीम चला रही हैं. हर कंपनी के पास इनकम टैक्स बचाने के लिए ELSS होते है. इसे ऑनलाइन या किसी एजेंट से खरीदा जाता है. इनकम टैक्स बचाने के लिए वन टाइम इन्वेस्टमेंट लिमिट लगभग 5 हजार रुपए है और हर महीने निवेश करना है तो लगभग 500 रुपए महीने का निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें 1.5 लाख रुपए की अधिकतम टैक्स छूट ली जाती है, लेकिन अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं होती है.

ब्याज नहीं मिलता है मार्केट लिंक्ड रिटर्न

स्कीम में 3 वर्ष के लिए लॉक-इन रहता है. बाद में निवेशक चाहे तो पैसे निकाल सकते है. 3 वर्ष के बाद चाहें तो पूरा निकाला जा सकता है. आंशिक निकासी का भी ऑप्शन रहता है. बाकी पैसा आप जब तक चाहें स्कीम में रखा रहने दे सकते हैं. ELSS की खास बात ये है कि इसमें निवेश पर ब्याज की जगह मार्केट लिंक्ड रिटर्न मिलता है. बीते 10 वर्ष में ELSS म्यूचुअल फंड कैटेगरी ने करीब 8.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.

कहां करना चाहिए निवेश?

तीनों ऑप्शन में ही निवेश पर टैक्स छूट मिलने की सुविधा अच्छा है. लेकिन, फिर भी तीनों अलग-अलग लाभ वाली स्कीम हैं. नौकरीपेशा हैं तो VPF में निवेश करना सही होगा . क्योंकि यहां से आपको PPF और ELSS की तुलना में अधिक ब्याज मिलेगा. वहीं, अगर आप थोड़ा रिस्क ले लेते हैं तो उनके लिए ELSS सही विकल्प हैं. इसमें पैसा एसआईपी (SIP) के जरिए लगाना होता है , जिसमें हर महीने निवेश किये जाते है. इससे जहां निवेश पर रिस्क कम हो जाता है और अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना ज्यादा हो जाती है. वहीं, अगर आप मार्केट के रिस्क से दूर ही रहना चाहते हैं तो PPF में निवेश करना सही रहेगा.

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