डॉलर के प्राइस बढ़ने से आयातकों को नुकसान, निर्यातकों को फायदा होगा

भारतीय रुपए में गिरावट का असर सबसे अधिक आयातकों और निर्यातकों पर देखने को मिल सकता है।

भारतीय रुपए में गिरावट की वजह से आयात महंगा हो जाएगा, क्योंकि हमें कीमत तो डॉलर में ही चुकानी होती है।

ऐसे में पहले 1 डॉलर के लिए जहां 74-75 /- चुकाने होते थे,

वहीं अब 80 रुपए चुकाने पड़ेंगे।

वहीं पर इसका उल्टा निर्यातकों को भारतीय रुपए में गिरावट का फायदा होगा,

क्योंकि हमें भुगतान डॉलर में होता है, एवं अब एक डॉलर की कीमत रुपए के मुकाबले बढ़ चुकी है इसलिए

मसलन सॉफ्टवेयर कंपनियों और फार्मा कंपनियों को ज्यादा फायदा होता है।

फिर भी कुछ एक्सपोर्टरों पर महंगाई दर ज्यादा होने से लागत का बोझ भी पड़ता है,

और वह भारतीय रुपए में गिरावट का ज्यादा फायदा नहीं उठा पाते हैं।

मसलन जेम्स-जूलरी, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मशीनरी को आइटम बनाने वाली

सभी कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इससे उनके मार्जिन पर भी असर पड़ता है।

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