कैश में लेन-देन करते हैं? कहीं घर न आ जाए इनकम टैक्स का नोटिस,
Income Tax Notice: हर टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त अपने हर तरह के इनकम सोर्स, ट्रांजैक्शन और इन्वेस्टमेंट की खबर देनी चाहिए.
Annual Information Return (AIR) स्टेटमेंट आपके सारे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की डिटेल रखता है, टैक्स अथॉरिटी इस स्टेटमेंट को चेक करती है
फॉर्म 26A के E हिस्से में आपकी हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन की डिटेल होता है.
बैंक डिपॉजिट, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री से जुड़ा लेन-देन, म्युचुअल फंड में निवेश या फिर शेयरों की ट्रेडिंग सहित कई अन्य ऐसे ट्रांजैक्शन होता हैं,
ऐसे मामलों में सतर्क रहने के लिए एक बार नीचे दी गई लिस्ट पर नजर मार लें :-
बैंक डिपॉजिट पर।सेविंग्स और करंट बैंक अकाउंट में किए गए हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स नजर रखती है. वहीं, करंट अकाउंट में यह लिमिट एक वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये की हैं .
बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर।बैंक एफडी अकाउंट में 10 लाख रुपये से ज्यादा का कैश डिपॉजिट करते हैं तो इसको आईटी डिपार्टमेंट को नोटिफाई करना चाहिए.
जमीन या ऐसी ही अचल संपत्ति खरीदने या बेचने पर।
30 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी की खरीद - बिक्री पर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को ट्रांजैक्शन की डिटेल देनी होती है, डिटेल ITR फाइल करते वक्त जरूर डालें.
विदेशी करेंसी बेचने पर।
विदेशी करेंसी को बेचने पर भी लिमिट है.एक वित्तीय वर्ष में विदेशी करेंसी बेचकर 10 लाख या इससे ऊपर का अमाउंट कलेक्ट करने पर इसे डिस्क्लोज़ करने होते है.
शेयर, म्युचुअल फंड या बॉन्ड्स जैसे असेट में निवेश।
शेयरों, MFs, बॉन्ड्स या डिबेंचर्स में निवेश करते हैं तो ध्यान दें कि एक फाइनेंशियल ईयर में कैश ट्रांजैक्शन की लिमिट सिर्फ 10 लाख से ऊपर नहीं जानी चाहिए.
क्रेडिट कार्ड के बिल की पेमेंट।
क्रेडिट कार्ड पेमेंट के बिल का पेमेंट कैश में कर रहे हैं तो यह ट्रांजैक्शन 1 लाख रुपये से अधिक का नहीं होना चाहिए.